यूपी के पूर्व CM का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया |समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रक्षामंत्री रहे मुलायम सिंह को देश के दिग्गज राजनेताओं में से एक कहा जाता था। मुलायम सिंह को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने पर मेदांता अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। अस्पताल में मुलायम सिंह की निगरानी खुद मेदांता समूह के निदेशक डॉ. नरेश त्रेहन कर रहे थे। हालांकि हालत बिगड़ने के बाद उनका जीवन नहीं बचाया जा सका और मुलायम ने सुबह 8.16 पर आखिरी सांस ली। जब से मुलायम सिंह यादव अस्पताल में भर्ती हुए थे तब से लगातार उनके समर्थक और प्रशंसक उनकी बेहतर सेहत के लिए पूजा-प्रार्थना कर रहे थे।
मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक सफर
साल 1967 का विधानसभा चुनाव हो रहा था. इस चुनाव में मुलायम के राजनीतिक गुरु और जसवंतनगर के विधायक नत्थू सिंह ने अपनी सीट से मुलायम को मैदान में उतारने का फैसला लिया. मुलायम सिंह इस सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. मुलायम के पास प्रचार के लिए कोई संसाधान नहीं था. ऐसे में उनके दोस्त दर्शन सिंह ने उनका साथ दिया. मुलायम सिंह और दर्शन सिंह साइकिल से गांव-गांव प्रचार के लिए जाते थे. इस बीच चुनाव प्रचार के लिए एक पुरानी अंबेस्डर कार खरीदी. इस गाड़ी में ईंधन के लिए इनके पास पैसे नहीं थे. जब ईंधन की कमी हुई तो गांव के ही सोनेलाल काछी ने कहा कि उनके गांव से कोई पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ रहा है, ऐसे में उसके लिए पैसों की कमी नहीं होने देंगे. गांव के लोगों ने फैसला लिया कि हम हफ्ते में एक दिन एक वक्त खाना खाएंगे. उससे जो अनाज बचेगा, उसे बेचकर अंबेस्डर में तेल भराएंगे. मुलायम की लड़ाई कांग्रेस के दिग्गज नेता हेमवंती नंदन बहुगुणा के शिष्य एडवोकेट लाखन सिंह से थी. मुलायम सिंह चुनाव में जीत हासिल कर सिर्फ 28 साल की उम्र में प्रदेश के सबसे के उम्र के विधायक बने.
मुलायम सिंह यादव तीन बार बने मुख्यमंत्री
21नवंबर 1939 को मैनपुरी के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 1967 में मुलायम सिंह यादव पहली बार विधायक और मंत्री भी बने. इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. अब तक तीन बार वह मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके हैं. केन्द्र और उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी और वह राज्य सरकार में मंत्री बनाये गये. चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बने। विधायक का चुनाव लड़े और हार गए. 1967, 74, 77, 85, 89 में वह विधानसभा के सदस्य रहे. 1982-85 में विधानपरिषद के सदस्य रहे. इसके अलावा आठ बार राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. मुलायम सिंह ने 1992 में समजावादी पार्टी का गठन किया.
बसपा के साथ भी बनाई सरकार
1993 में मुलायम सिंह यादव ने बसपा के साथ सरकार बनाई. जब बसपा नेता मायावती ने समर्थन वापस लिया तो गेस्ट हाऊस कांड हो गया. जगदंबिका पाल के नेतृत्व में एक दिन की सरकार बनवाने में भी मुलायम ही शिल्पी थे. इसके बाद भाजपा के सहयोग से 2003 में मुलायम ने उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई.
अपनी पार्टी की कार्यकर्ता को दिल दे चुके थे मुलायम सिंह यादव
साधना गुप्ता समाजवादी पार्टी में एक छोटी कार्यकर्ता थी. साधना पहले से शादीशुदा थी और उनके पति फर्रुखाबाद जिले में व्यापारी का काम करते थे. लेकिन बाद में वह उनसे अलग हो गई. 1980 के दौरान वह पार्टी से जुड़ी थीं. 1982 में जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने, उस वक्त साधना पार्टी में एक छोटी कार्यकर्ता थींं. मुलायम जब राजनीति के शिखर पर थे, उस वक्त उनकी जिंदगी में साधना गुप्ता का आगमन हुआ. पहली ही मुलाकात में नेताजी अपने से 20 साल छोटी साधना को अपना दिल दे बैठे और यहीं से इन दोनों का प्यार शुरू हुआ. साधना और मुलायम की प्रेम कहानी भले ही चोरी छिपे चल रही थी, लेकिन मुलायम की मां और उनकी पत्नी मालती को इस रिश्ते की खबर लग चुकी थी. कहते हैं मुलायम पर परिवार का दबाव था, जिस वजह से उन्होंने इस रिश्ते को कभी भी नहीं स्वीकारा. मुलायम सिंह ने हमेशा इस रिश्ते को छिपा कर रखा. 1988 से पहले कोई नहींं जानता था कि मुलायम सिंह का एक और पुत्र प्रतीक है.