फूलन देवी, जिसे अक्सर "बैंडिट क्वीन" के रूप में जाना जाता है, एक डाकू थी जो अंततः महिलाओं के अधिकारों की पैरोकार और समाजवादी पार्टी के लिए संसद सदस्य बन गई।
Phoolan Devi is a "Phoolan Devi" फूलन देवी जी बचपन से ही निडर थी, बहुत ही कम उम्र में दुनिया की सच्चाई से रूबरू हो चुकी थी, जिसकी बगावत उन्होंने मात्र 10 साल में ही कर दी थी। फूलन देवी जी की दहशत पूरे गांव में तो थी ही उनके घर वाले भी खास करके उनके पिताजी भी बहुत परेशान रहते थे। क्योंकि गांव में वो किसी से नहीं डरती थी यहां तक कि पुलिस से भी लड़ जाती थी। और बहुत से लोगों से लड़ तक जाती थी और ऐसी ऐसी गालियां देती थी जिसको सुनकर लोग दंग रह जाते थे।
नाबालिक में ही मात्र 10 - 11 साल की उम्र में उनके पिता एक अधेड़ उम्र के आदमी से बगैर फूलन देवी जी की इजाजत के शादी कर दी जाती है। फिर उसके बाद फूलन देवी जी पर उनके पति द्वारा अत्याचार किया जाता है उसके साथ बलात्कार किया जाता है। पिता के घर जाने के बाद पिता भी ठुकरा देते हैं, अपनी ही बेटी फूलन देवी पर ही झूठी केस में फंसा कर उससे छुटकारा पाने के लिए जेल तक भेजवा देती है।
अपने पति के घर में अंतिम प्रवास के कुछ समय बाद, और उसी वर्ष (1979) में, फूलन डकैतों के एक गिरोह के साथ गिर गई। वह डाकुओं के एक गिरोह का हिस्सा बन जाती है।
फूलन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर निर्वाचन क्षेत्र से 11वीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़ीं। उन्होंने मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा, जिनकी सरकार ने उनके खिलाफ सभी मामलों को वापस ले लिया और उन्हें जेल से रिहा कर दिया। उन्होंने चुनाव जीता और 11वीं लोकसभा (1996-98) के कार्यकाल के दौरान एक सांसद के रूप में कार्य किया। वह 1998 के चुनाव में अपनी सीट हार गईं, लेकिन 1999 के चुनाव में फिर से चुनी गईं और जब उनकी हत्या हुई तो मिर्जापुर के लिए संसद की वर्तमान सदस्य थीं।
25 जुलाई 2001 को, देवी की उनके दिल्ली बंगले के बाहर तीन नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी